तिल द्वादशी के दिन व्रत करने से धन, धान्य, संपत्ति व परिवारिक सुख मे बढ़ोत्तरी और रोगों/मानसिक परेशानी का अंत और पवित्र नदियों में स्नान व दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति और जाने अनजाने मे किए गए पापो से मुक्ति प्राप्त होती है।
शास्त्रो के अनुशार इस व्रत को भगवान श्री कृष्ण स्वयं का स्वरूप कहा है, जो व्यक्ति को जन्मांतरों के बंधन से मुक्त कर देता है और वैकुंठ प्राप्ति का साधक बनता है। यह व्रत समर्पित है श्री विष्णु जी को और उनकी कृपा प्राप्त करने हेतु इसे किया जाता है। तिल द्वादशी व्रत सभी प्रकार का सुख वैभव देने वाला और कलियुग के समस्त पापों का नाश करने वाला है। मन के अंधकार को दूर करते हुए यह जीवन में प्रकाश का संचार करता है। मन मे सकरात्मक सोच मे वृद्धि होती है।
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