अगर आप से कहा जाए कि
आपके अन्दर असीमीत उर्जा है तो शायद आपको खुद पर विस्वास ना हो पर ये सच है। आपने कुण्डलिनी के बारे में तो जरूर सुना होगा, अगर हम कुंडिलनी को आज के परमाणु ऊर्जा से जोड़ कर देखें तो ये गलत भी नहीं होगा।
कुंडलिनी और इसकी असीमित ताकत :
कुंडलिनी की प्रकृति कुछ ऐसी है कि जब यह शांत होती है तो आपको इसके होने का पता भी नहीं होता। जब यह गतिशील होती है तब अपको पता चलता है कि आपके भीतर इतनी ऊर्जा भी है।
आध्यात्मिक
गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव कहते हैं कि अगर आपकी कुंडलिनी जाग्रत है, तो आपके साथ ऐसी चमत्कारिक चीजें घटित होने लगेंगी जिनकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।
जैसे कि परमाणु को आप देख भी नहीं सकते, लेकिन अगर आप इस पर प्रहार करें, इसे तोड़ दें तो एक जबर्दस्त घटना घटित होती है।
कुंडलिनी और परमाणु ऊर्जा :
जब तक परमाणु को तोड़ा नहीं गया था तब तक किसी को पता भी नहीं था कि इतने छोटे से कण में इतनी जबर्दस्त ऊर्जा मौजूद है।
जब
कुंडलिनी जाग्रत की जाती है तो ऊर्जा की उच्च अवस्था में समझ और बोध की अवस्था भी उच्च हो जाती है। पूरे के पूरे यौगिक सिस्टम का मकसद आपकी समझ और बोध को बेहतर बनाना है।
इंसान भी एक जैविक परमाणु है, जीवन की एक इकाई है।
इंसान के भीतर भी वैसी ही जबर्दस्त ऊर्जा मौजूद है।
कुंडलिनी जाग्रत करने का अर्थ भी यही है कि आपने उस अपार ऊर्जा के इस्तेमाल की तकनीक को हासिल कर लिया है।
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